Friday, 4 July 2014

अब 
चलना नहीं आता था। … 
तब 
गिरने नहीं देते थे लोग। … 

जब्से… 
सभाला है खुद को… 
कदम कदम पर… 
गिराने की सोचते है लोग…
दर्शन राणा लुधिअना  

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